गुरुवार, 21 मार्च 2013

घर री राड़


घर री राड़
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मा सिखाई सेवा
मायतां री
मा रा मायत 
मा रा सासू-सुसरा
म्हारा दादो-दादी
मा घणीं ई करती चाकरी
पण डरती
नीं होई गळती सूं
पछै तो होयां ई सरती ।

मा री
गळती माथै 
होंवतो घर में गोधम
सांकडै़ आंवता पिता जी
बोलतां ही हो जांवता मून
आ सुण
ल्यो ले ल्यो
इण रो तो वकील भी है 
आप रै बाप माथै गयो है
दादी हांसती
मा भी हांस जांवती
बस इयां मिट जांवती
घर री राड़ ।

म्हनै लागतो
बडेरा कदै ई
राड़ नीं करै
बाड़ करै घर रै ।

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