शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

चिड़कळी

ऎक डाळी सूं
दूजी डाळी
भच्च कूदै चिड़कली
पकडै अर मारै फिड़कली।

आभै उडै
उतरे
काच्ची डाळी
डरै नीं
डाळी रै टूटण सूं
उण नै रै’वै
पूरो विसवास
आपरी आंख माथै
अर पांख माथै।

उडणो सिखावै मा
आंख-पांख
देण विधना री
पण
हूंस पाळै
खुद चिड़कली
उड़ै खुद, मारै फिड़कली
हूंस पाण उडै चिड़कली !