गुरुवार, 21 मार्च 2013

म्हैं तुळछां हूं थारै आंगणै री


म्हैं तुळछां हूं थारै आंगणै री
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आज मा रो फ़ोन आयो
मा बतायो-
लारली दीयाळी 
परणीजगी बा तुळछां
जकी थूं लगाई
आपणैं घर रै आंगणैं
परणीज्यां पछै
तीन मईना हरी रैई
कोई नवी काढी ई नीं डाली
नीं लाग्या नवा पानका
जूनी डाळ्यां माथै
जरूर आया मोर
बा तो बळगी जा पछै 
थारा सुणा
काईं हाल है !

म्हारा तो
बुसका ई फ़ाट्या
सबद दोरा ई डाट्या
"मा म्हैं तुळछां हूं थारै आंगणै री"
इत्तो ई बोलीज्यो
अर मा फ़ोन काट दियो !

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